Motivational Story Hindi Of Starbucks Corporation
Table Of Contents
Motivational Story Hindi – 1:
हॉवर्ड स्कूल्ज़ (Howard Schultz): एक व्यक्ति जिसने कभी नहीं मानी हार
यदि आपके सामने, कोई भी इंसान, ‘कॉफ़ी’ का ज़िक्र करे तो सबसे पहला ख्याल आता हे – ‘स्टारबक्स’ का। स्टारबक्स (Starbucks Coffee Company) एक ऐसा विश्वप्रसिद्ध नाम बन चुका हे जिसका जुबान पे आते ही एक कॉफी पीने का मन हो जाता है, फिर चाहे वो कोल्ड कॉफ़ी हो या फिर कैपुचिनो। यह नाम अब केवल एक कॉफ़ी ब्रांड नहीं रहा, परंतु एक ऐसा स्थान बन चुका है जहा प्रत्येक वर्ग के लोग एक मानविक जुड़ाव के महसूस करने आते हैं।
पर क्या आप जानते है की इतने बड़े साम्राज्य के मालिक ने अपने शुरआत, अखबार बेचने एवं कैफे में काम करने से की थी। हार्वर्ड स्कूल्ज की कहानी अपने आप में एक प्रेरणा से भरी सफलता की दास्तान है।
जब परिवार में पहली बार कॉलेज गए
हावर्ड के माता-पिता कभी विश्वविद्यालय नही जा पाए, जिसके चलते उन्हें अन्य लोगो से अधिक महनत और काम करने के बावजूद काम वेतन से ही संतुष्ट होना पड़ता था। उस समय देश के भी आर्थिक हालात इतने अच्छे नही थे, नौकरी भी कम थी।
एक दिन हार्वर्ड के पिता का पैर फ्रैक्चर हुआ और उनकी ट्रक चलाने की नौकरी छूट गई। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में काफी मुश्किल आर्थिक संकट झेला, इस समय ने उन्हें कठिनाइयों का सामना करना सिखाया अथवा इनसे उभरने का जज्बा भी दिया।
हार्वर्ड ने संकल्प लिया, कभी भी ऐसी परिस्थिति दुबारा उत्पन्न नही होने देंगे। अपनी पढ़ाई पूरी करने का निर्णय लिया और खेल के जरिए स्कॉलरशिप प्राप्त कर कर विश्वविद्यालय की और कदम बढ़ाया।
कुछ करने की इच्छाशक्ति
विश्विद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक फर्म का वाइस – प्रेसिडेंट बना दिया गया। किसी भी अन्य इंसान के लिए २२ साल की उम्र में वीपी बन जाना काफी संतोष की बात होती परंतु हार्वर्ड के लिए नही। एक दिन उन्होंने ने “कॉफी स्टोर” में जाकर वहां का वातावरण को महसूस किया।
ऐसा लगा की यह चीज वो शुरुआत से ही करना चाहते थे, एक ऐसी जगह जहा विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए लोग, कॉफी टेबल पर एक होजाए – “एक मानविक जुड़ाव”।
हार्वर्ड ने वहां के मालिकों से इस व्यवसाय से जुड़ने की मांग की और अंत में उन्हें हार्वर्ड की बात माननी ही पड़ी, उन्हें डायरेक्टर ऑफ मार्केटिंग बनाकर।
स्टारबक्स–एक सपना
हार्वर्ड ने व्यवसाय में खूब तारिक्की की और अपना एक कॉफी चेन बना लिया। जब उन्हें खबर हुई की उनका पुराना कॉफी स्टोर बेचा जा रहा है, तो बिना कोई समय गवाए वो स्टोर उन्होंने खरीद लिया। इसके चलते हार्वर्ड ने स्टारबक्स को अपना पूर्ण सपना बनालिया और उसने नई ऊंचाई तक ले गए।
हार्वर्ड ने हमेशा नुकसान फायदे से हटके अपने व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य ‘कर्मचारी’ और उसकी खुशी को रखा। उन्होंने एक ऐसी कंपनी की स्थापना की, जिसको उनके माता पिता हमेशा याद रखते।
starbucks annual revenue: 2020 में स्टारबक्स का शुद्ध राजस्व – net revenue $19.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया
कर्मचारियों की संख्या: 349,000
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Motivational Story Hindi – 2:
तकनिकी दुनिया के क्रांतिकारी: थिंक डिफरेंट मूल मंत्र से बनायीं नंबर 1 मोबाइल कंपनी
Motivational Story Hindi: तकनिकी दुनिया में क्रांति हैं स्टीव जॉब्स
“एप्पल” Apple जी हाँ एप्पल खाने वाला सेब नहीं। बल्कि स्टीव जॉब्स की खून पसीने की मेहनत वाली “एप्पल”। आज के युग में तकनीक बहुत विकसित हुई है। सभी को अच्छे से अच्छे तकनिकी उपकरणों की जरूरत है और इसके साथ ही ब्रांड भी लोगों के ज़हन में रहता है। वारे तो तब न्यारे होते हैं जब हाथ में एप्पल कंपनी का लैपटॉप, फोन या अन्य कोई गैजेट हाथ में होता है। ऐप्पल एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी है। यह राजस्व के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनी है और जनवरी 2021 से दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी भी है।
सबसे अलग सोच रखने वाला शख्स
लेकिन यह कंपनी ऐसे ही इस मुकाम पर नहीं पंहुच गई। इसके पीछे कहानी भी इसके नाम और लोगो की तरह खास है। स्टीव जॉब्स ऐसी खास शख्सियत हैं। जिन्हें न तो अपने पैसे से ज्यादा प्यार था और न ही उनकी पहचान पैसे से की जाती थी। कुछ हटकर सोचना और तकनीक के क्षेत्र में कुछ विशेष कार्य करना उनकी खासियत थी।
जीवन परिचय
स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) का जन्म वर्ष 1955 में 24 फरवरी को हुआ था। बचपन से ही उनकी रूचि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में थी। एक दिन स्टीव जॉब्स की मुलाकात स्टीव वोज़्निएक से हुई जोकि आगे चलकर एप्पल कंपनी के साझेदार भी बने। स्टीव जॉब्स की तरह उन्हें भी इलेक्ट्रॉनिक से बहुत प्यार था।
स्टीव जॉब्स को पहली नौकरी वीडियो गेम्स बनाने वाली एक कंपनी में मिली थी। कुछ वर्ष नौकरी करने के बाद वह भारत आए यहां उन्होंने बौद्ध धर्म को पढ़ा और समझा। वापस अमेरिका आकर स्टीव जॉब्स ने स्टीव वोज़्निएक के साथ मिलकर एक कंप्यूटर बनाया, जिसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया।
उस कंप्यूटर को वह गेराज से बेचा करते थे। वर्ष 1980 में कंपनी का पहला आईपीओ बाजार में उतारा गया। जिससे एप्पल सार्वजानिक कंपनी बन गयी। इस आईपीओ ने कई व्यक्तियों को करोड़पति बना दिया। इसके बाद जब एप्पल का ही लीजा टेक्नोलॉजी बाजार में लांच हुआ तो वह लोगों पसंद नहीं आया। इसका जिम्मेदार स्टीव जॉब्स को ठहराया गया और उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया।
हार से सबक लिया और की मेहनत
यह हार न मानने का जज्बा ही था कि Steve Jobs ने अपनी नेक्स्ट नाम की कंपनी खोली और इस कंपनी से उन्होंने इतनी रकम कमाई की बहुत जल्द उन्होंने एक ग्राफ़िक्स की कंपनी खरीद ली। उधर जॉब्स के बिना एप्पल का हाल बेहाल होने लगा था।
कुछ समय बाद एप्पल ने नेक्स्ट खरीद लिया और स्टीव जॉब्स एप्पल के सीईओ बन गए। इसके बाद वह निरंतर मेहनत करते रहे और अलग-अलग गैजेट्स निकाले। एप्पल के फ़ोन ने तो जैसे अलग ही क्रांति ला दी थी।
वर्ष 2011 को पांच अक्टूबर के दिन उनकी मौत हो गई। जिसके बाद से उस दिन को उनके नाम से मनाया जाता है। थिंक डिफरेंट यह उनका मूल मंत्र था।
Anand Mahindra Motivational Story Hindi – 3:
आनंदो से बढ़कर आनंद महिंद्रा
आज का युग तरक्की का युग। इस युग में हर कोई एक कामयाब इंसान बनना चाहता है। हर कोई अपने जीवन में ऊंची सीढ़ियां चढ़ना चाहता है। यकीनन लोग कामयाब भी बनते है, ऊंची- ऊंची सीढ़ियां भी चढ़ते हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे व्यक्तित्व से रूबरू कराएंगे। जिसने न केवल कामयाबी हासिल की और न ही केवल ऊंची सीढ़ियां चढ़ा बल्कि इस पायदान पर रहते हुए भी देश के प्रति प्रेम यहां के नौजवानों के भविष्य के बारे में भी सोचा।
संघर्षों से भरी हुई सफलता
जी हाँ इस युग में जहां लोगों के लिए रूपया-पैसा ही सब कुछ होता है। उस युग में भी एक ऐसा व्यक्तित्व है। आज हम बात करने जा रहे हैं सभी के प्रिय महिंद्रा एंड महिंद्रा के निदेशक, आनंद महिंद्रा की। जी हाँ आनंद महिंद्रा को आज कौन नहीं जानता।
यदि कोई नहीं जानता तो बताते चलें की आनंद महिंद्रा बहुत बड़े भारतीय उद्यमी हैं। वह महिंद्रा एंड महिंद्रा के सह-संस्थापक जगदीश चंद्र महिंद्रा के पोते हैं। साथ ही हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र भी हैं।
एक आदत जो बनाती हैं उन्हें खास
आनंद महिंद्रा की एक खास आदत उन्हें दूसरों से काफी अलग बनाती है। वह अपने व्यस्तता में भी सामाजिक कार्यो में योगदान देते रहते हैं।
जब देश में कोरोना पीक पर था। तब भी आनंद महिंद्रा द्वारा हाथ आगे बढ़ाए गए थे। जीवन में सोशल होने के साथ आनंद महिंद्रा सोशल मीडिया के जरिए भी लोगों से जुड़े रहते हैं। ऊंची सोच और सादगी पसंद आनंद महिंद्रा की बात ही कुछ अलग है।
हाल हीं में उनके द्वारा अच्छा प्रदर्शन करने वाले युवा क्रिकेट खिलाड़ियों को तोहफे के रूप गाड़ी दी गई। जिससे क्रिकेट प्रेमियों की नजरों के स्टार आनंद महिंद्रा बन गए।
Anand Mahindra को 2013 के लिए फोर्ब्स (भारत) द्वारा ‘वर्ष के उद्यमी’ के रूप में विख्यात किया गया था और फॉर्च्यून पत्रिका द्वारा ‘विश्व के 50 महानतम नेताओं’ में शामिल किया गया था।
व्यावसायिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान
आनंद महिंद्रा को व्यावसायिक क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए राजीव गांधी पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्हें अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन से लीडरशिप अवार्ड मिला और ऑटो मॉनिटर से पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
उनकी मुख्य यूनिट
महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप आफ्टरमार्केट, एयरोस्पेस, कंपोनेंट्स, एग्रीबिजनेस, डिफेंस, एनर्जी, ऑटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट, इंश्योरेंस, फार्म इक्विपमेंट, फाइनेंस, इंडस्ट्रियल इक्विपमेंट, हॉस्पिटैलिटी, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, लीजर, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट और रिटेल में काम करता है।
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लेखक:
लेखक, समाज सेवी एवं गौसेवा में समर्पित जीव प्रेमी