मुकाम तक पहुंचने के लिए 5 साल बिना पैसे के काम किया

Success Story in Hindi: “आगाज तो कर, अंजाम तेरी मेहनत खुद लिखेगी”

Anurag Kashayap SUCCESS STORY HINDI

Anurag Kashyap SUCCESS STORY in HINDI (Image Credit Twitter)

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संघर्षोंपूर्ण शुरुआत – A Real Success Story in Hindi

फिल्म नगरी एक ऐसी दुनिया है जहां स्थायी शब्द अपने आप में अर्थहीन हो जाता हैं।

यह केवल ऊपरी सोच है, क्योंकि जो व्यक्ति सिनेमा की गंगोत्री में उतर जाता है, केवल उसे ही पता होता है कि स्थायी होना कितना महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया एक प्रतियोगिता में दौड़ रही है, तुम्हे कुछ ऐसा बनना है जो उन्हें रुकने पर मजबूर कर दे।

इसी प्रकार का सिनेमा बनाते है अनुराग कश्यप। पेशे से अनुराग लेखक, निर्देशक, निर्माता एवं कलाकार हैं। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सब कुछ किया है। पृथ्वी थिएटर के बहार चाय स्टाल पर लोगों को चाय बाटी ताकि थिएटर से एक पल भी दूर ना हो और सीखते रहे।

पांच साल बिना किसी क्रेडिट के कहानियां लिखी, जिससे एक अलग पहचान बन सके। घर-भार, मन-सेहत सब कुछ छोड़ के एक लगन से वो फिल्में बनायीं जिन्हे शायद ही कोई और बना सकता था।

आज देश के सवोर्च्च निर्देशकों में से एक हैं अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap)। चाहे बिहार का लाला हो या मॉडर्न देवदास, लोगों के लाभों पर चढ़ जाने वाले अनेको किरदारों के रचियता है अनुराग।

कभी हार नही मानी

जब उनसे पूछा गया कि इतनी कम बजट में इतनी शानदार सिनेमा को पैदा कैसे किया जाता है, उनका एक ही जवाब था। “अपनी सक्सेस के लिए केवल तुम ही जिम्मेदार हो”। अर्थात कोई भूला-भटका तुम्हारे सपने पूरे करवाने नहीं आएगा, यदि कोई है जो यह काबिलियत रखता है तो वह हो सिर्फ तुम।

मुंबई जैसे कभी ना सोने वाले शहर आए तो सही में नींद उड़ गई। बे सर–पैर की फिल्मों से कुछ अलग बनाने की चाह जागी और सिनेमा के निकट आने का प्रयास किया। कोई काम नहीं था और पृथ्वी थियेटर के नजदीक ही रहना था, तो वहीं पर चाय की दुकान पर काम कर लिया।

इसी दौर के आसपास देश में ‘दूरदर्शन’ के धारावाहिकों की शुरुआत हुई। काम में इतनी लगन लगाई कि 5 साल बिना किसी नाम और पैसे के केवल स्क्रिप्ट लिखी। अंत में लोग इतने केंद्रित हुए कि खुद पूछने आने लगे,“ कहाँ मिलेगा वह आदमी जो बिना सवाल करें केवल लिखे जाता है?”।

यहाँ से मिली पहचान

एक निर्देशक से मुलाकात हुई जिसने उनके काम की सराहना की और कहा, “मैं दूंगा क्रेडिट”।
नाम था राम गोपाल वर्मा और फिल्म थी ‘सत्या’। आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह फिल्म, एक मील का पत्थर है।

Anurag Kashyap success story hindi
Anurag Kashyap success story in hindi (image credit twitter)

इसके बाद अनुराग (Anurag Kashyap) ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनेकों हिट फिल्में दी और कुछ असफलता भी हाथ आई, पर कभी भी अपनी मेहनत से जी नहीं चुराया और अपने लिए फिल्में बनाते गए। अतः अपनी ‘सक्सेस’ की जिम्मेदारी खुद ही लिखते गए।

जन्म – 10 September 1972 (age 49), Gorakhpur, Uttar Pradesh, India
पत्नी – आरती बजाज ​(m. 1997; div. 2009)​, Kalki Koechlin ​(m. 2011; div. 2015)

कालेज – Hansraj College – Delhi

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Anurag Kashyap: A true inspiring success story in Hindi

Movie Of Anurag Kashyap

  • Paanch (Unreleased)
  • Black Friday (2004)
  • No Smoking (2007)
  • Return of Hanuman (2007)
  • Dev.D (2009)
  • Gulaal (2009)
  • Mumbai Cutting (2010)
  • That Girl in Yellow Boots (2011)
  • Gangs of Wasseypur (2012)
  • Bombay Talkies (2013)
  • Ugly (2014)
  • Bombay Velvet (2015)
  • Raman Raghav 2.0 (2016)
  • Mukkabaaz (2018)
  • Lust Stories (2018)
  • Sacred Games (2018)
  • Manmarziyaan (2018)
  • Ghost Stories (2020)
  • Choked (2020)

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लेखक

Manisha Upadhayay

Chief Editor of www.successkeys.in Manisha, Upadhaya is a Highly experienced Journalist. In the year 2008, she started her innings in the field of journalism from the Hindustan newspaper. She did excellent work in many newspapers including Amar Ujala, The Sea Express. For the last 15 years, she is the district correspondent of Doordarshan U.P. Also, Manisha Ji has been giving her services in Akashvani as a casual announcer for 15 years. She made a different identity in society through his news.

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